मनीष वंदेमातरम्

कवि मनीष 'वंदेमातरम्' का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के ग़ाजीपुर जनपद के एक छोटे से गाँव नसीरपुर में हुआ। छुटपन से ही हिन्दी साहित्य में विशेष रूचि थी। मनीष ने दो उपन्यासों 'श्रद्धांजली' और 'वसुंधरा' तब ही लिख दिया था, जब वे १०वीं कक्षा के विद्यार्थी थे। ये दोनों उपन्यास, वे अपने एक मित्र को भेंट कर चुके हैं। स्नातक की पढ़ाई के लिए लेखक इलाहाबाद आ गये, जहाँ इन्होने हिन्दी साहित्य की कई अन्य विधाओं में सृजन आरम्भ किया। लेखक ने अपने एक संस्मरण 'असमनिया' जो कि मित्र-मंडली में बहुत लोकप्रिय रही, को प्रकाशनार्थ 'हंस', 'कथादेश' सरीखें कई पत्र-पत्रिकाओं में भेजी, परन्तु सफलता हाथ नहीं आई। अपने कुछ अनन्य मित्रों के साथ लेखक ने समाचार पत्रों के सम्पादकीय विभाग से भी सम्पर्क किया। वर्तमान में लेखक इलाहाबाद में रहकर प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।


रचनाएँ-
उपन्यास- वसुंधरा एवम् श्रद्धांजली।
संस्मरण- असमनिया एवम् कानी।
नाटिका- स्वर्ग में आरक्षण।
कविता- सैकड़ों कविताएँ।



सम्पर्क-सूत्र-
ग्राम व पोस्ट- नसीरपुर,

जनपद- ग़ाज़ीपुर (उ॰प्र॰)



इनका वार- शुक्रवार







योगदान-


आख़िर जीना कौन नहीं चाहता!

सपने स्पष्ट

बूढ़ा बरगद

तो कितना अच्छा था!

मैं मरना चाहता हूँ

जब आदमी मरता है

आदमी की परिभाषा

आ जाओ

आज रात भर

लाश में इंसान

फिर तुम नहीं आयी

तुमसे बहुत प्यार करता हूँ

तुम्हारी कमी

गलती तुम्हारी नहीं है

आओगी ना?

चाहता हूँ मैं

इस फागुन ज़रूर से ज़रूर आना

शुरूआत नये रिश्ते की

अज़ीब यह वीराना लगता है

कब होगा ऐसा?

मेरे बगल वाली नदी

औरत क्या है?

ग़ज़लगो, क्या इसे ग़ज़ल कहेंगे?

सनीचरी

देखो मेरी नज़र से

अहमियत भूख की

रहेगा ही

बुचईया

मेरी क्षणिकाएँ

मेरे गाँव की एक और बात

बुनियादी फ़र्क

न्याय

होता कभी यूं भी

इस साल गाँव में बाढ़ आयी है

रिश्ते (क्षणिकाएं)

इस साल गाँव में 'रमलील्ला' नहीं हुई

किताब-दो कविताएं

क्षणिकाएं

दिल्ली में कड़ाके की ठंड, पारा दो डिग्री से नीचे

फुलझड़ियां (क्षणिकाएं)