अनिल कुमार त्रिवेदी

जुलाई १९८१ में जन्मे कवि अनिल कुमार त्रिवेदी का जन्मस्थान हमीरपुर, उत्तर प्रदेश का एक क़स्बा 'राठ' रहा है। कविता से इनका सम्पर्क नैनीताल शहर के 'भारतीय शहीद सौनिक विद्यालय' से माना जा सकता है जब कवि कक्षा ८वीं के विद्यार्थी थे, और अपने विज्ञान के आचार्य श्री विवेक के कविता-वर्णन से बहुत प्रभावित थे। श्री विवेक प्रतिदिन एक कविता, प्रार्थना-काल के समय सुनाते थे। कवि ने सोचा, जब गुरुजी प्रतिदिन एक कविता सुना सकते हैं तो क्या मैं एक कविता भी नहीं लिख सकता! बस फिर क्या था, उठायी कलम, चलते-फिरते पृष्ठ पर शब्दों का कैनवास खींच डाला, मगर उसे वे सहेज ना सके। जल्द ही दूसरी कविता 'आज़ादी के पचास वर्ष' लिख डाली। पर किसी को ना दिखाया ना सुनाया, शायद वह इनके अंतर्मुखी व्यक्तित्व का परिचायक था। प्रारम्भ में कवि आज़ादी, नेता, ख़ादी, और पश्चिमी सभ्यता की आलोचनाएँ ही कविताओं में समाहित करते रहे, मगर जल्द ही इन्होंने कविता-मंडल का विस्तार किया। सन् २००२ में GLA प्रोद्यौगिकी एवम् प्रबंधन संस्थान, मथुरा में प्रवेश के बाद, वहाँ साथी मित्रों के प्रोत्साहन से कविताएँ वाचने भी लगे फिर भी कभी भी अपने आप को मंच तक ना ले सके। एक-दो बार संस्थान की मासिक पत्रिका 'GLADTimes' में प्रकाशनार्थ, कविताएँ देना चाहे परन्तु दुर्भाग्यवश सफलता हाथ नहीं लगी। कुछ दिनों पूर्व कवि शैलेश भारतवासी की दृष्टि इनके कविताओं पर पड़ी और वे उनको सजाल पर लाने को मजबूर हो गये। वर्तमान में कवि अनिल कुमार त्रिवेदी दिल्ली महानगर में रहकर भारतीय अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

रचनाएँ- सैकड़ों अप्रकाशित कविताएँ।


इनका वार- बुधवार


योगदान -