वरुण स्याल

इनका जन्म दिल्ली नगर में हुआ। ये सदा नई दिल्ली का वासी रहे हैं। स्कूल के समय से ही कविता पढने एवं लिखने में रुचि रही है। महादेवी वर्मा, निराला जी, एवं मैथिलीशरण गुप्त जी की कुछ रचनायें पढ़ने का सौभाग्य तभी प्राप्त हुआ। कॉलेज मे थियेटर के दौरान कुछ नाटक अवश्य पढ़ने को मिले पर कविता-जगत की कोई ख़बर न रही। आज ये आई आई टी - दिल्ली में नागरिक अभियान्त्रिकी (सिविल इंजीनियरिंग) के अंतिम वर्ष के छात्र हैं। बीच में कुछ समय तक हिन्दी-साहित्य से अछूते रहे, परन्तु अब हिन्द-युग्म द्वारा फिर एक नूतन प्रारंभ करने का अवसर मिला है। कॉलेज में आने के उपरान्त केवल अंग्रेज़ी में ही कविता लिखते रहे परन्तु कभी भी तृप्ति की अनुभूति नहीं हुई। अब जब हिन्दी में कविताएँ लिखने लगे हैं, एक नया मार्ग दिखाई पड़ा है।


संपर्क-
ईसी-१२, कुमायुँ हॉस्टल
आईआईटी दिल्ली, हौज़ खास
नई दिल्ली-११००१६
मोबाइल- ९९६८२१६११२
ई-मेल- varun.co.in@gmail.com


इनका वार- रविवार



योगदान-