विभिन्न कवियों की रचनाएँ एवं बृहत् साहित्य पढ़ते-पढ़ते लेखन शैली में बदलाव भी आता रहा एवं अंतत: इन्होंने स्वयं की एक वाचन पद्धति बना कर उसके अनुरूप लिखना प्रारंभ किया जिसमें इनकी समस्त रचनाएँ (कविता, हानी, ग़ज़ल, लेख इत्यादि) पिरोई हुई हैं |
कॉलेज़ के दिनों मे इन्हें गजलें सुनने-पढ़ने का चाव हुआ और इस विधा में भी लेखन प्रयास करते रहते हैं , हां इसी विधा के प्रभाव से इन्होंने अपना उपनाम "रुह" रख लिया।
आज इनकी यह काव्य-बेल रोज़ एक नया सोपान चढ़ रही है और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं मे प्रकाशित रचनाएँ और मेरी प्रकाशित पुस्तक "शब्द-यज्ञ" इस बेल की पुष्प बन कर सरस्वती को नमन कर रही हैं।
"जाने क्या क्या लिखता रहता है बैठ कर |
पढ़ कर देखें "रुह" के ज़ज़्बात,चलो आओ ||"
जन्म : २५/०४/१९७५, भोपाल (म.प्र.)
शिक्षा : एम. काम.,एम. एस. सी. ( कम्पयुटर साईंस )
वर्तमान व्यवसाय : साफ्टवेयर इंजीनियर, पुणे ( महाराष्ट)
ईमेल: rishikeshkhodke@gmail.com , rishikeshkhodke@yahoo.co.in
ब्लाग(चिट्ठा) : http://shabdayagya.blogspot.com , http://mahaanagarkaakavya.blogspot.com
बाल-उद्यान पर इनकी तिथियाँ- १०वीं और २४वीं